विजयनगर साम्राज्य की स्थापना, उद्देश्य और संस्कृति का विस्तार

भारतीय इतिहास में विजयनगर साम्राज्य एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है इस साम्राज्य की स्थापना उद्देश्य और सांस्कृति का विस्तार अद्भुत है इस लेख में हम विजय नगर साम्राज्य के प्रारंभिक इतिहास और इसके उद्देश्य व संस्कृति के विस्तार के बारे में जानेंगे इस साम्राज्य की उपलब्धियों को और महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ साथ हम देखेंगे कि विजय नगर साम्राज्य का योगदान भारतीय इतिहास में कितना रहा है |

Vijaynagar Samrajya-विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर और बुक्का ने की थी इनके पिता का नाम संगम था इसी कारण से इनके वंश का नाम भी संगम वंश पड़ा | संगम वंश का प्रथम शासक हरिहर प्रथम था जिसका शासनकाल 1336 से 1556 तक था इसने विजय नगर साम्राज्य की स्थापना की और हम भी को अपनी राजधानी बनाया |

कुछ इतिहासकारों ने विजयनगर साम्राज्य के नाम का उद्भव विजयनगर 2 शब्दों के नाम से किया है “विजय” और “नगर” जिसका अर्थ है “जीती हुई नगर” या “विजय शहर” | विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के संबंध में विभिन्न इतिहासकारों में विवाद रहा है कुछ इतिहासकारों ने इसे 1336 ईस्वी में माना है तथा कुछ इतिहासकारों ने इसे द्वादशवीर्षित शताब्दी में इसकी स्थापना मानी है

विजयनगर साम्राज्य के उद्देश्य

विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों का मुख्य उद्देश्य दक्षिण भारत में चल रहे आक्रमणों को अपने क्षेत्र को बचाना और स्वतंत्रता का संरक्षण करना था इस दौरान दक्षिण भारत में राज्यों का समूह था जो एक दूसरे के साथ विवाद कर रहा था और चुनौतियों का सामना भी कर रहा था इस संदर्भ में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना एक महत्वपूर्ण घटना थी जो दक्षिण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |

विजयनगर राज्य के संस्थापक राजा हरिहर धर्म में विश्वास रखते थे इन्होंने अपने राज्य को हिंदू धर्म के अनुसार संचालित किया ओवर साम्राज्य में हिंदू संस्कृति को प्रमुख स्थान दिया इससे विजयनगर साम्राज्य का एक प्रमुख उद्देश्य धार्मिक एकता और इसका संचालन बन गया | जिसके कारण हिंदू संस्कृति में समृद्धि समर्थन करना पड़ा |

Vijaynagar Samrajya-विजयनगर साम्राज्य की संस्कृति का विस्तार

विजयनगर साम्राज्य की संस्कृति एक महत्वपूर्ण विशेष विषय है विजयनगर साम्राज्य के संस्थापकों ने विभिन्न क्षेत्रों में कला, साहित्य ,संस्कृति को और विज्ञान में विकास को प्रोत्साहन दिया | इस समय के दौरान विजयनगर साम्राज्य में संस्कृति के क्षेत्र में अधिक उन्नति देखने को मिली और समाज में लोग धार्मिकता सांस्कृतिक और शिक्षा के प्रति आकर्षित हुए विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने संस्कृत भाषा को अधिक प्रोत्साहन दिया और विभिन्न धार्मिक स्थलों को बनवाया जिसके कारण भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिला |

विजयनगर साम्राज्य में संस्कृति के साथ-साथ कला और साहित्य का भी विकास हुआ साम्राज्य में कलाकार और कवियों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी कला का प्रदर्शन किया और इनमें अपनी भावनाएं विकसित की इस दौरान राज्य में संस्कृति का विकास हुआ और पढ़ाई को भी विशेष दर्जा दिया गया जिसके कारण विजयनगर साम्राज्य में स्कूल ऑफ आर्ट का उदय हुआ जो विभिन्न कलाओं और स्थापत्य के क्षेत्रों में मान्यता प्राप्त कर गया |

समाप्ति

इस लेख में हमने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना उद्देश्य और संस्कृति के विस्तार के बारे में विस्तृत रूप से जाना विजयनगर साम्राज्य एक महत्वपूर्ण संस्थान था जो दक्षिण भारतीय इतिहास यूरोप में बहुत प्रसिद्ध है असम राज्य की स्थापना ने भारतीय संस्कृति कला साहित्य और विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |

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