Tarain Ka Pratham Yuddh-तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ था

तराइन का प्रथम युद्ध (Tarain Ka Pratham Yuddh) 1191 में लड़ा गया था यह युद्ध हिंदुओं के राजा राजपूत पृथ्वीराज चौहान और और भारत पर हमला करने वाले मुसलमान राजा मोहम्मद गौरी के बीच हुआ था इस युद्ध में मोहम्मद गोरी को करारी हार का सामना करना मोहम्मद गोरी स्वयं घायल हो गया और इसकी सेना भाग गई और अपनी जान बचा कर गोरी को भारत से भागना पड़ा |

भारत के इतिहास में बहुत सारी लड़ाइयां लड़ी गई है इनमें से एक लड़ाई तरावड़ी के मैदान(Tarain Ka Pratham Yuddh) में लड़ी गई है वैसे तो तरावड़ी के मैदान में बहुत सारी लड़ाई लड़ी गई है परंतु इन सभी लड़ाईयो में सबसे प्रसिद्ध तराइन का प्रथम युद्ध है तराइन का प्रथम युद्ध किस किस के बीच लड़ा गया इस विषय में बहुत से प्रश्न हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर हम इस लेख में जानेंगे |

मोहम्मद गोरी ने अपने शासनकाल में अनेक देशों को जीतकर अपने राज्य में मिलाया था और भारत में अपना क्षेत्र बना लिया था लेकिन उसके मरने के बाद उस का किला बिगड़ने लगा था राज्य की नींव स्थापित की थी स्तनों को गिरने में देर नहीं लगी जिस कारण से मोहम्मद गोरी का पतन हुआ उसका बना बनाया राज्य खत्म हो गया |

तराइन का प्रथम (1991) युद्ध व कारण

Tarain Ka Pratham Yuddh-मोहम्मद गोरी ने 1186 में गजनी वंश के अंतिम राजा की गद्दी छीन ली और वह भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने लगा 1186 में गोरी ने पंजाब पर अधिकार कर लिया अधिकार करने के बाद पृथ्वीराज और मोहम्मद गौरी के राज्य की सीमाएं एक दूसरे से मिलने लगी थी अपने राज्य का विस्तार करने और अपने राज्य में व्यवस्था स्थापित करना पृथ्वीराज की एक खूबी थी पृथ्वीराज चौहान अपना शासन पंजाब तक स्थापित करना चाहता था उस समय पंजाब का शासक मोहम्मद गोरी था

पृथ्वीराज पंजाब पर अधिकार करने के उद्देश्य से भटिंडा की ओर मुड़ा और 13 वर्ष के घेरे के बाद उसने कब्जा कर लिया कब्जा करने के बाद पृथ्वीराज चौहान में पंजाब में गोरी को खदेड़ने का कोई प्रयास नहीं किया और गौरी का शासन पंजाब तक ही सीमित रह गया |

तराइन के प्रथम युद्ध की घटनाएँ

हरियाणा के तरावड़ी मैदान में दोनों सेनाओं के बीच 1191 ईसवी में तराइन का संघर्ष हुआ जिसे तराइन का प्रथम युद्ध कहा जाता है तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज की विजय और गौरी की पराजय हुई पृथ्वीराज के सामंत गोविंदराज ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह घायल कर दिया उसकी सेना में भगदड़ मच गई तथा तुर्क सैनिक भागने लगे अपने क्षेत्र की ओर और वह मुल्तान सुरक्षित पहुंच गए इस युद्ध में पृथ्वीराज के सैनिकों ने बहादुर एवं सैनिक चतुरता अधिक प्रदर्शन किया |

Tarain Ka Pratham Yuddh

तराइन का प्रथम युद्ध के परिणाम

गणेश सेना में जोश जुनून भरकर पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी की ओर बढ़ने लगे सरहद किले के समीप एक बड़ा क्षेत्र है जिसे तराइन कहा जाता है वहां पर दोनों सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ गोरी पराजित हुआ और पृथ्वीराज विजय इस युद्ध में मोहम्मद गोरी की सेना के वही सैनिक जीवित रह गए थे जो मैदान छोड़कर भाग गए थे |

मोहम्मद गोरी बहुत बुरी तरह घायल गए थे वह इस स्थिति में नहीं थे कि वह घोड़े पर बैठकर युद्ध कर सके और मैदान में जा सके तभी उनके एक सैनिक ने उन्हें अपने घोड़े पर बिठाया और युद्ध के मैदान से दूर ले गए और उनकी जान बचाई जिस सेना का बादशाह घायल हो गया हो उस सेना में खलबली मच गई और मोहम्मद गौरी की सेना भाग गई बादशाह घायल होने के कारण उनकी सेना को कोई परामर्श नहीं मिला जिससे उसकी सेना को लगा कि अब हमारा बादशाह नहीं रहा |

मोहम्मद ग़ोरी की हार और पृथ्वीराज की विजय

रात भर तुर्क सेना विश्राम करने के बाद अगले दिन तराइन के मैदान में पहुंचे अपनी सेना को लेकर पृथ्वीराज चौहान मुस्लिम सेना के आगे बढ़े मोहम्मद गौरी की समस्त सहना इस युद्ध में आई थी पृथ्वीराज की सेना ने तुर्कों की विशाल सेना को देखा और पृथ्वीराज की शहनाई युद्ध करने के लिए खड़ी हो गई तुर्को द्वारा आक्रमण करने के बाद पृथ्वीराज ने आज्ञा दी और युद्ध शुरू हो गया दुर्ग सेना की संख्या बहुत अधिक थी |

दोपहर तक यह युद्ध चलता रहा और पृथ्वीराज की सेना डटकर युद्ध का सामना कर रही थी लगातार भीषण मार के कारण तुर्क के सैनिक थक गए और तेजी से मरने लगे मुस्लिम सेना की कमजोरी देखकर राजपूतों की सेना आगे बढ़ने लगी यह देखकर गोरी ने अपनी सेना को जोशीले शब्दों में आगे बढ़ने की आज्ञा दी सारा युद्ध मोहम्मद गोरी पर केंद्रित था इस समय युद्ध की परिस्थितियां अत्यंत गंभीर थी इसी बीच गोरी की आंख में तीर लगा और वह घायल हो गया सेना में भगदड़ मच गई और सहना भाग गई इस कारण मोहम्मद गौरी को पराजय का सामना करना पड़ा |

तराइन का दूसरा युद्ध

तराइन के युद्ध में मोहम्मद गोरी ने बहुत सारी गलतियां करी इन्हीं गलतियों का फायदा मोहम्मद गोरी ने तराइन के दूसरे युद्ध में उठाया तराइन का दूसरा युद्ध अगले ही वर्ष 1992 में हुआ जिसमें पृथ्वीराज चौहान की पराजय हुई तथा मोहम्मद गौरी की जीत और इसे युद्ध में पृथ्वीराज की हत्या कर दी गई मुसलमानों की सेनाओं ने राजपूतों की सेना पर भूत अत्याचार किए मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज के राज्य में कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया और राज्य के सभी प्रमुख नगरों पर अपना अधिकार कर लिया इस प्रकार पृथ्वीराज की पराजय हुई |

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