जागीरदारी प्रथा प्रत्यक्ष रुप से जागीर से जुड़ा है जागीर का अर्थ है भूमि का टुकड़ा इसका अर्थ यह है jagirdari pratha कि किसी व्यक्ति को सरकारी वेतन के बदले नगद वेतन ना देकर क्षेत्र विशेष से कर एकत्रित करने का अधिकार दे दिया जाता था जो निर्धारित क्षेत्र का जागीर या जागीरदार कहलाता था इस प्रकार यह कहना उचित है जागीरदार वे मनसबदार थे जो मुगल काल में सरकारी सेवा के बदले नगद वेतन ना देकर उन्हें राजस्व क्षेत्र दे दिया जाता था
जागीरदार मुगल शासन व्यवस्था का अभिन्न अंग था इसलिए इसे कुछ कर्तव्य दिए हुए थे जिसका पालन इन्हें करना पड़ता था सर्वप्रथम इन्हें एक सैनिक टुकड़ी प्रदान की गई थी इस कुकड़ी का प्रयोग है शासन व्यवस्था के लिए करता था युद्ध के समय दी है टुकड़ी राजा का साथ देती थी और राज्य में कर वसूलना और राज्यसभा इकट्ठा करना इनका काम था
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मुगलकालीन शासन व्यवस्था में जागीरदारी प्रथा(jagirdari pratha) का विशेष महत्व था जागीरदार प्रत्यक्ष रूप से प्रशासन का एक हिस्सा थी जो अपने आप में स्वतंत्र थी मुगलों ने अपने राज्य का विस्तार भी किया तथा राजनीतिक के साथ-साथ कानूनी एकीकरण की दिशा को भी बढ़ाया दिया जिसके कारण जागीरदारी प्रथा को बढ़ावा मिला जिससे लोगों को फायदा भी हुआ और नुकसान भी इन फायदे और नुकसानओं का वर्णन कुछ इस प्रकार है
जागीरदारी प्रथा के फायदे
जागीरदारी प्रथा ने मुगल शासन काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इस प्रथा में दोनों पक्ष थे जिसको इसके गुण और दोषों के रूप में समझा जा सकता है :
- मुगल काल के प्रभावित चरण में यह प्रथा लाभदायक सिद्ध रही
- जागीरदारी प्रथा मुगल शासन की शक्ति का स्त्रोत बन चुकी थी
- कम से कम खर्च में प्रशासन चलाना मुगल शासन की विशेषता थी जिसका मुख्य केंद्र जागीरदारी प्रथा थी
- मुगल काल में अभिजात वर्ग को काफी बड़ा समझा जाता था परंतु इन्हें दरबार में कोई प्रतिष्ठा व पद नहीं दिया जाता था
- जागीरदारी प्रथा के कारण योग्य व्यक्तियों को अपनी प्रतिष्ठा प्रस्तुत करने का अवसर मिला जिसके कारण प्रशासन की व्यवस्था में सुधार आया |
जागीरदारी व्यवस्था के नुकसान
- जागीरदारी व्यवस्था मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बनी
- इस व्यवस्था के कारण आर्थिक संतुलन बिगड़ा जिससे शासन चलाना मुश्किल हो गया
- यह व्यवस्था कृषक के लिए घातक साबित हुई क्योंकि यह शोषण का शिकार बन चुकी थी इस दशा को सुधारने की जिम्मेवारी ना तो सरकार ने ली और ना ही जागीरदार ने |
- राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाना |
- इस प्रकार जागीरदारी व्यवस्था मुगलकालीन शासन व्यवस्था के लिए घातक साबित हुई जिसके कारण ना तो राज्य सही तरह से चला और ना ही प्रशासन|
Jagirdari Pratha-जागीरदारी व्यवस्था की कार्य-प्रणाली
jagirdari pratha जागीरदारी प्रथा का स्वरूप तथा कार्य प्रणाली काफी जटिल थी यह जागीरदार एक तरह के मनसबदार थे और अकबर के उद्देश्यों को अपनाते थे यह यह दो उद्देश्य पहला अमीर वर्ग पर शाही नियंत्रण बनाए रखना तथा दूसरा राज्यसभा व्यवहार में कम से कम खर्चे पर निरंतरता लाना मुगल काल में जगी सुधारों को प्रशासक से संबंधी कार्य करना पड़ता था जागीरदार एक तरह का फौजदार होता था जो जागीर की व्यवस्था देखता था और इस की नियुक्ति शासक के द्वारा की जाती थी
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